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महान साहित्यकार, कवि और चिंतक श्रीकांत वर्मा भारत रत्न के हकदार: आलोक सिन्हा
राष्ट्रीय जनशक्ति सेवा संघ ने भारत के महान साहित्यकार, कवि और चिंतक श्रीकांत वर्मा को भारत रत्न से सम्मानित करने की पुरजोर मांग
महान साहित्यकार, कवि और चिंतक श्रीकांत वर्मा भारत रत्न के हकदार: आलोक सिन्हा
नई दिल्ली। राष्ट्रीय जनशक्ति सेवा संघ ने भारत के महान साहित्यकार, कवि और चिंतक श्रीकांत वर्मा को भारत रत्न से सम्मानित करने की पुरजोर मांग भारत सरकार से की है। संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आलोक कुमार सिन्हा ने बताया कि यह केवल एक व्यक्ति को सम्मानित करने की अपील नहीं है, बल्कि भारतीय साहित्य, विचार और आत्मा को सम्मानित करने की पुकार है। श्रीकांत वर्मा ने अपनी लेखनी से न केवल काव्य जगत को नया आयाम दिया, बल्कि देश की आत्मा, पीड़ा, संघर्ष और सभ्यता को शब्दों में ढालकर आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमर धरोहर छोड़ी। उन्होंने मगध जैसे कालजयी काव्य संग्रह से साहित्य को जनसंघर्ष से जोड़ा। वे न केवल कवि थे, बल्कि भारतीय संसद में विचारशील आवाज भी थे। उनकी रचनाएँ सत्ता से सवाल पूछती हैं, समाज को आईना दिखाती हैं। भारत रत्न जैसे सर्वोच्च नागरिक सम्मान के वे न केवल योग्य पात्र हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति का वह स्तंभ हैं जिन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचाना जाना चाहिए। राष्ट्रीय जनशक्ति सेवा संघ सभी साहित्यप्रेमियों, छात्रों, शिक्षकों, जनप्रतिनिधियों और जागरूक नागरिकों से अपील करता है कि इस मांग को जन आंदोलन बनाएं। एक राष्ट्र की पहचान उसके विचारों से होती है और श्रीकांत वर्मा हमारे विचारों के पुरोधा हैं।
यह सम्मान केवल उनका नहीं होगा,
यह भारत की कविता, संस्कृति और विवेक का सम्मान होगा।
नई दिल्ली। राष्ट्रीय जनशक्ति सेवा संघ ने भारत के महान साहित्यकार, कवि और चिंतक श्रीकांत वर्मा को भारत रत्न से सम्मानित करने की पुरजोर मांग भारत सरकार से की है। संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आलोक कुमार सिन्हा ने बताया कि यह केवल एक व्यक्ति को सम्मानित करने की अपील नहीं है, बल्कि भारतीय साहित्य, विचार और आत्मा को सम्मानित करने की पुकार है। श्रीकांत वर्मा ने अपनी लेखनी से न केवल काव्य जगत को नया आयाम दिया, बल्कि देश की आत्मा, पीड़ा, संघर्ष और सभ्यता को शब्दों में ढालकर आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमर धरोहर छोड़ी। उन्होंने मगध जैसे कालजयी काव्य संग्रह से साहित्य को जनसंघर्ष से जोड़ा। वे न केवल कवि थे, बल्कि भारतीय संसद में विचारशील आवाज भी थे। उनकी रचनाएँ सत्ता से सवाल पूछती हैं, समाज को आईना दिखाती हैं। भारत रत्न जैसे सर्वोच्च नागरिक सम्मान के वे न केवल योग्य पात्र हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति का वह स्तंभ हैं जिन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचाना जाना चाहिए। राष्ट्रीय जनशक्ति सेवा संघ सभी साहित्यप्रेमियों, छात्रों, शिक्षकों, जनप्रतिनिधियों और जागरूक नागरिकों से अपील करता है कि इस मांग को जन आंदोलन बनाएं। एक राष्ट्र की पहचान उसके विचारों से होती है और श्रीकांत वर्मा हमारे विचारों के पुरोधा हैं।
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