सोशल
"गुलामी की ओर लोकतंत्र"
पहले आजादी फिर लोकतंत्र उन सभी लोगों का सपना था जिन लोगों ने लड़ाई लड़कर इस देश को आजाद कराया। लेकिन एक डर भी था जिसे शहीदे आजम सरदार भगतसिंह ने कहा था कि देश के चन्द थैलीशाह पूरे देश पर कब्जा जमाने की कोशिश कर सकते हैं और आज उसका गंदा व नंगा रूप हमारे सामने है।
लेखक: पंडित योगेश मणि त्रिपाठी
--------------------------------
गोरखपुर। पहले आजादी फिर लोकतंत्र उन सभी लोगों का सपना था जिन लोगों ने लड़ाई लड़कर इस देश को आजाद कराया। लेकिन एक डर भी था जिसे शहीदे आजम सरदार भगतसिंह ने कहा था कि देश के चन्द थैलीशाह पूरे देश पर कब्जा जमाने की कोशिश कर सकते हैं और आज उसका गंदा व नंगा रूप हमारे सामने है। इस देश के चन्दथैलीशाहों ने जिनमें से कुछ राजनेता, पूँजीपति और अफसरशाहों ने मिलकर इस देश को कानूनी सिकंजे में कसकर नींबू की तरह निचोड़ रहे हैं और इनकी प्यास शांत होने के बजाय असीमित रूप से बढ़ती जा रही है। आज हमारे सामने सिर्फ दो रास्ते बचते हैं एक सम्पूर्ण गुलामी जिसे हमारी पीढ़ियों ने झेला है और दूसरा संपूर्ण आजादी जिसे शहीदे आजम सरदार भगतसिंह ने बताया था। एक स्वस्थ लोकतंत्र का मतलब होता है स्वस्थ जनता, स्वस्थ राजनेता, व स्वस्थ नौकरशाही, लेकिन आज नेता व नौकरशाही इतनी स्वस्थ हो गई कि आम जनता को उनका भार ढोते-ढोते कमर टूटी जा रही है। आम आदमी का लगभग 70% कमाई ऐसे चन्द लोगों जिनकी संख्या लगभग चार से छः प्रतिशत है, लूट रहे हैं। चाहे मोटे वेतन के रूप में, परोक्ष-अपरोक्ष टेक्स लगाकर, घोटाला करके या मुनाफा वसूल कर आज देश के नब्बे प्रतिशत गरीब लोग यदि 100 ₹ बाजार में लेकर जाते हैं तो उन्हें मात्र 30₹ का सामान मिल पाता है बाकी 10 प्रतिशत अपरोक्ष टेक्स व मुनाफाखोरी में चला जाता है, लेकिन चार से छः प्रतिशत लोग अब भी उससे संतुष्ट नहीं है। छोटे उद्योग समाप्त कर दिए गए, उस पर पूँजीपति कब्जा जमा लिए,कृषि को इतनी मँहगी कर दी जा रही है कि किसान अपनी जमीन अपने आप इनके हवाले कर दें। अब इनकी नजर सरकारी नौकरियों पर है क्योंकि यहाँ भी गरीब व मध्यमवर्गीय बच्चे अपनी मेहनत के बल पर इस क्षेत्र में इनसे प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। अब उनको भी समाप्त करने का बड़ा नायाब तरीका निकाला। आर. टी. आई. कानून बनाकर मानक इतना कठिन व खर्चीला कर दिया गया कि प्राइमरी स्तर का विद्यालय चलाने के लिए कम से कम 50 लाख रुपये निवेश करना होगा, जो मध्यम व गरीब संस्थाएँ पूरी नहीं कर पाएंगी और इन विद्यालयों को मानक विहीन बताकर न तो मान्यता दी जाएगी और जिसको मान्यता भी है वह समाप्त कर दी जाएगी, क्योंकि देश के 80 प्रतिशत मध्यमवर्गीय व गरीब के बच्चे ऐसे ही विद्यालयों से जाते हैं जहाँ न्यूनतम फीस लेकर अच्छी व आधुनिक, गुणवत्तापूर्ण ,संस्कारित व अनुशासनात्मक, प्यार, स्नेह की शिक्षा दी जाती है और जिसके अध्यापक बहुत ही कम पारिश्रमिक लेकर गरीब व मध्यमवर्गीय बच्चों को पढ़ा रहे हैं। मात्र शिक्षा के दो केन्द्र रह जाएंगे - एक वह विद्यालय जहाँ शिक्षा इतनी महंगी होगी कि पढ़ाने के लिए हर वर्ष लाखों रुपये वसूले जाएँगे, जिसे मध्यम व गरीब परिवार दे नहीं पाएगा और दूसरे वे परिषदीय विद्यालय जहाँ न शिक्षा है न शिक्षक, कहाँ पढ़ेगा आप का बच्चा ? उसका भविष्य क्या होगा ? हम आगे एक कविता के माध्यम से इनकी मंशा बताने का प्रयास कर रहे हैं। "अत्याचार मिटाएगें हम भ्रष्टाचार मिटाएगें।"
देकर शिक्षा का अधिकार शिक्षित सभी बतलाएँगे, पहुँचा कर दारू गाँव-गाँव हम देश का कोष बढ़ाएंगे। आर• टी •ई कानून बना विद्यालय बन्द कराएँगे। आतंकी जेलों से बाहर, प्रबंधक जेल में जाएंगे। सड़को पर होगा आंदोलन, लाठी-गोली चलवाएँगे। मानक को अब कठिन बना, लागत को बहुत बढ़ा देंगे। आफिस में मान्यता हेतु, रिश्वत कुछ और चढ़ा देंगे।शिक्षा की एक चिनगारी, नीचे तक न जाने देंगे। मध्यमवर्गीय बच्चों को, प्रतिस्पर्धा में न आने देंगे। बचेंगे दो विद्यालय ही, एक महँगा और एक सरकारी। एक में अच्छी शिक्षा होगी, एक में किताब ड्रेस सरकारी ।
पूँजीपति के विद्यालय का, ऊँचा शिक्षा स्तर होगा। होगी मोटी फीस वहाँ ए. सी. वाला दफ्तर होगा। मोटे-मोटे पैसे वालों का ही वहाँ एडमीशन होगा। महँगी गाड़ी वालों को ही, पढ़ने का परमीशन होगा।
--------------------------------
गोरखपुर। पहले आजादी फिर लोकतंत्र उन सभी लोगों का सपना था जिन लोगों ने लड़ाई लड़कर इस देश को आजाद कराया। लेकिन एक डर भी था जिसे शहीदे आजम सरदार भगतसिंह ने कहा था कि देश के चन्द थैलीशाह पूरे देश पर कब्जा जमाने की कोशिश कर सकते हैं और आज उसका गंदा व नंगा रूप हमारे सामने है। इस देश के चन्दथैलीशाहों ने जिनमें से कुछ राजनेता, पूँजीपति और अफसरशाहों ने मिलकर इस देश को कानूनी सिकंजे में कसकर नींबू की तरह निचोड़ रहे हैं और इनकी प्यास शांत होने के बजाय असीमित रूप से बढ़ती जा रही है। आज हमारे सामने सिर्फ दो रास्ते बचते हैं एक सम्पूर्ण गुलामी जिसे हमारी पीढ़ियों ने झेला है और दूसरा संपूर्ण आजादी जिसे शहीदे आजम सरदार भगतसिंह ने बताया था। एक स्वस्थ लोकतंत्र का मतलब होता है स्वस्थ जनता, स्वस्थ राजनेता, व स्वस्थ नौकरशाही, लेकिन आज नेता व नौकरशाही इतनी स्वस्थ हो गई कि आम जनता को उनका भार ढोते-ढोते कमर टूटी जा रही है। आम आदमी का लगभग 70% कमाई ऐसे चन्द लोगों जिनकी संख्या लगभग चार से छः प्रतिशत है, लूट रहे हैं। चाहे मोटे वेतन के रूप में, परोक्ष-अपरोक्ष टेक्स लगाकर, घोटाला करके या मुनाफा वसूल कर आज देश के नब्बे प्रतिशत गरीब लोग यदि 100 ₹ बाजार में लेकर जाते हैं तो उन्हें मात्र 30₹ का सामान मिल पाता है बाकी 10 प्रतिशत अपरोक्ष टेक्स व मुनाफाखोरी में चला जाता है, लेकिन चार से छः प्रतिशत लोग अब भी उससे संतुष्ट नहीं है। छोटे उद्योग समाप्त कर दिए गए, उस पर पूँजीपति कब्जा जमा लिए,कृषि को इतनी मँहगी कर दी जा रही है कि किसान अपनी जमीन अपने आप इनके हवाले कर दें। अब इनकी नजर सरकारी नौकरियों पर है क्योंकि यहाँ भी गरीब व मध्यमवर्गीय बच्चे अपनी मेहनत के बल पर इस क्षेत्र में इनसे प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। अब उनको भी समाप्त करने का बड़ा नायाब तरीका निकाला। आर. टी. आई. कानून बनाकर मानक इतना कठिन व खर्चीला कर दिया गया कि प्राइमरी स्तर का विद्यालय चलाने के लिए कम से कम 50 लाख रुपये निवेश करना होगा, जो मध्यम व गरीब संस्थाएँ पूरी नहीं कर पाएंगी और इन विद्यालयों को मानक विहीन बताकर न तो मान्यता दी जाएगी और जिसको मान्यता भी है वह समाप्त कर दी जाएगी, क्योंकि देश के 80 प्रतिशत मध्यमवर्गीय व गरीब के बच्चे ऐसे ही विद्यालयों से जाते हैं जहाँ न्यूनतम फीस लेकर अच्छी व आधुनिक, गुणवत्तापूर्ण ,संस्कारित व अनुशासनात्मक, प्यार, स्नेह की शिक्षा दी जाती है और जिसके अध्यापक बहुत ही कम पारिश्रमिक लेकर गरीब व मध्यमवर्गीय बच्चों को पढ़ा रहे हैं। मात्र शिक्षा के दो केन्द्र रह जाएंगे - एक वह विद्यालय जहाँ शिक्षा इतनी महंगी होगी कि पढ़ाने के लिए हर वर्ष लाखों रुपये वसूले जाएँगे, जिसे मध्यम व गरीब परिवार दे नहीं पाएगा और दूसरे वे परिषदीय विद्यालय जहाँ न शिक्षा है न शिक्षक, कहाँ पढ़ेगा आप का बच्चा ? उसका भविष्य क्या होगा ? हम आगे एक कविता के माध्यम से इनकी मंशा बताने का प्रयास कर रहे हैं। "अत्याचार मिटाएगें हम भ्रष्टाचार मिटाएगें।"
देकर शिक्षा का अधिकार शिक्षित सभी बतलाएँगे, पहुँचा कर दारू गाँव-गाँव हम देश का कोष बढ़ाएंगे। आर• टी •ई कानून बना विद्यालय बन्द कराएँगे। आतंकी जेलों से बाहर, प्रबंधक जेल में जाएंगे। सड़को पर होगा आंदोलन, लाठी-गोली चलवाएँगे। मानक को अब कठिन बना, लागत को बहुत बढ़ा देंगे। आफिस में मान्यता हेतु, रिश्वत कुछ और चढ़ा देंगे।शिक्षा की एक चिनगारी, नीचे तक न जाने देंगे। मध्यमवर्गीय बच्चों को, प्रतिस्पर्धा में न आने देंगे। बचेंगे दो विद्यालय ही, एक महँगा और एक सरकारी। एक में अच्छी शिक्षा होगी, एक में किताब ड्रेस सरकारी ।
पूँजीपति के विद्यालय का, ऊँचा शिक्षा स्तर होगा। होगी मोटी फीस वहाँ ए. सी. वाला दफ्तर होगा। मोटे-मोटे पैसे वालों का ही वहाँ एडमीशन होगा। महँगी गाड़ी वालों को ही, पढ़ने का परमीशन होगा।
विज्ञापन
वेबसाइट बनवाए बिजनेस बढ़ाए : Call - 919457790679
वेबसाइट बनवाकर अपने बिजनेस को ऑनलाइन बढ़ाएँ। प्रोफेशनल डिज़ाइन, SEO और मोबाइल फ्रेंडली
और पढ़ें