राजनीति
इमरजेंसी के 50 साल पर भारतीय बौद्ध संघ ने कांग्रेस मुख्यालय पर किया प्रदर्शन
नई दिल्ली। 25 जून 1975 को इंदिरा गांधी सरकार ने देश में आपातकाल लागू कर दिया था, जिसे भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय माना जाता है
इमरजेंसी के 50 साल पर भारतीय बौद्ध संघ ने कांग्रेस मुख्यालय पर किया प्रदर्शन
नई दिल्ली। 25 जून 1975 को इंदिरा गांधी सरकार ने देश में आपातकाल लागू कर दिया था, जिसे भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय माना जाता है। भारतीय बौद्ध संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भंते संघप्रिय राहुल ने इसके विरोध में बुधवार को कांग्रेस मुख्यालय पर प्रदर्शन किया उनके साथ संगठन के पदाधिकारी और सैकड़ों कार्यकर्ता भी थे। भंते राहुल ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस ने देश में इमरजेंसी लगाकर लोकतंत्र को कमजोर किया। उन्होंने कहा कि आज उन सभी महान पुरुषों और महिलाओं को श्रद्धांजलि देने का दिन है, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया था। जिस मानसिकता के कारण आपातकाल लगाया गया, वह आज भी उसी पार्टी में मौजूद है जिसने आपातकाल लगाया था। वे संविधान के प्रति अपने तिरस्कार को अपने दिखावे के माध्यम से छिपाते हैं, लेकिन भारत की जनता उनकी हरकतों को समझ चुकी है और इसीलिए उन्होंने उन्हें बार-बार नकार दिया है। भंते राहुल ने कहा कि आपातकाल के दौरान नागरिक अधिकार निलंबित कर दिए गए थे और विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया था। मीडिया पर सेंसरशिप लगा दी गई और संविधान में संशोधन किया गया। इस दौरान तानाशाही और सत्ता का दुरुपयोग खुलेआम प्रदर्शित हुआ था। भंते राहुल ने कहा कि आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का एक काला अध्याय है जिसे भुलाया नहीं जा सकता। भंते राहुल ने कहा कि कांग्रेस संविधान विरोधी है और समय-समय पर अपने बचाव में संविधान में बदलाव किए हैं, कांग्रेस कोई पार्टी नहीं बल्कि लोकतंत्र विरोधियों का एक झुंड है।
नई दिल्ली। 25 जून 1975 को इंदिरा गांधी सरकार ने देश में आपातकाल लागू कर दिया था, जिसे भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय माना जाता है। भारतीय बौद्ध संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भंते संघप्रिय राहुल ने इसके विरोध में बुधवार को कांग्रेस मुख्यालय पर प्रदर्शन किया उनके साथ संगठन के पदाधिकारी और सैकड़ों कार्यकर्ता भी थे। भंते राहुल ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस ने देश में इमरजेंसी लगाकर लोकतंत्र को कमजोर किया। उन्होंने कहा कि आज उन सभी महान पुरुषों और महिलाओं को श्रद्धांजलि देने का दिन है, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया था। जिस मानसिकता के कारण आपातकाल लगाया गया, वह आज भी उसी पार्टी में मौजूद है जिसने आपातकाल लगाया था। वे संविधान के प्रति अपने तिरस्कार को अपने दिखावे के माध्यम से छिपाते हैं, लेकिन भारत की जनता उनकी हरकतों को समझ चुकी है और इसीलिए उन्होंने उन्हें बार-बार नकार दिया है। भंते राहुल ने कहा कि आपातकाल के दौरान नागरिक अधिकार निलंबित कर दिए गए थे और विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया था। मीडिया पर सेंसरशिप लगा दी गई और संविधान में संशोधन किया गया। इस दौरान तानाशाही और सत्ता का दुरुपयोग खुलेआम प्रदर्शित हुआ था। भंते राहुल ने कहा कि आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का एक काला अध्याय है जिसे भुलाया नहीं जा सकता। भंते राहुल ने कहा कि कांग्रेस संविधान विरोधी है और समय-समय पर अपने बचाव में संविधान में बदलाव किए हैं, कांग्रेस कोई पार्टी नहीं बल्कि लोकतंत्र विरोधियों का एक झुंड है।
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